The rains are finally here in earnest! Brings out the romantic in all of us. If you are happy in a relationship you become happier! If the relationship is rocky ... peace and love mysteriously crop up! If you are in a long distance relationship the rains lend a different background score to the phone calls ... and man oh man if you are fence sitting on a relationship things simply slide in place (maybe because of the humidity :P). Everyone out there has a romantic rain drenched story to tell.
But by now we all have come to predict KaviRaj - this dude has churned out a gem this monsoon! Without hogging much limelight I present - मैं चाहता हूँ (How I wish!)
मैं चाहता हूँ
के फिर बारिश में तुम भिगो
मेरी खातिर
के छूने की अच्चानक
आज मन ये कर रहा है फिर
मैं चाहता हूँ
के फिर हम छुप छुप
के मिलते हैं
के अब रोज़ मस्तियों के
ना फूल खिलते हैं
मैं चाहता हूँ
के फिर इक बार तुम रूठो
बहुत दिन तक
और मैं दौडूँ तुम्हारे पीछे
मानाऊँ कर बक बक
मैं चाहता हूँ
के तुम फिर से लिखो
ख़त रोज़ इक मुझको
के पढ़ पढ़ के गुजारी ज़िन्दगी
मिलो तो दिखाऊँ मैं तुझको
मैं चाहता हूँ
के बीते रात लम्बी होके
फिर तुम संग
के तुम बिन खो गया है मिट गया
जीवन का मेरे रंग
मैं चाहता हूँ
मेरे जीवन का अंतिम पल
हो तेरे संग
ये मेरा दिल तुम्हारा रग रग तुम्हारी
और हर अंग अंग
मैं चाहता हूँ
तेरा ये साथ जन्मों तक रहे मेरा
के मेरा घर है तेरा घर
सदा हो ये तेरा डेरा
- जितेश मेहता
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