Monsoons , Saawan - this season makes a poet out of a commoner. So it is but natural that a poet's creative juices get more heady with this romantic season underway in full swing.
While the rains got delayed and then played hide and seek with ahmedabadis ... Kavi Raj continues to enthrall with his compositions.
Please sample the beauty below:
वाह क्या मौसम बारिश का
वाह क्या मौसम बारिश का
ये चाय की चुस्कियां
ठंडक भरा ये मौसम
बचपन की मस्तियाँ
फिर से चलाने को मन
करे कश्तियाँ
सब एक सी दिखें
खुश सारी हस्तियाँ
वाह क्या मौसम बारिश का
ये चाय की चुस्कियां
ठंडक भरा ये मौसम
बचपन की मस्तियाँ
कहीं पे पानी से भरे गड्ढे
कहीं पे हरियाली
ये धुले नहाये से पेड़ पत्ते
जैसे पूरी दुनिया ही नहाली
गलियों में महल्लों में
पकोड़ों की महकती खुशबू
सब तरफ चहल पहल
किसीने कर दिया जादू
जो थका सा सूखा सा
वो तृप्त अब जहाँ
वाह क्या मौसम बारिश का
ये चाय की चुस्कियां
ठंडक भरा ये मौसम
बचपन की मस्तियाँ
ये चिड़ियों का ख़ुशी में
झुण्ड बन के चेह्चाहना
ये गाये भैसों का
सड़क बीच आ नहाना
अब सब जल मग्न
हो चुका और चाहिए कुछ कहाँ
वाह क्या मौसम बारिश का
ये चाय की चुस्कियां
ठंडक भरा ये मौसम
बचपन की मस्तियाँ
-जितेश मेहता
Shutterbug also got clicking ... a few samples are displayed below.
Enjoy the monsoons while they last!
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